हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय पोर्टलों पर पारस अस्पताल धोखाधड़ी से जुड़ी खबरों ने लोगों का ध्यान खींचा। कुछ पोस्टों में यह दावा किया गया कि पारस हेल्थ में वित्तीय अनियमितता और चिकित्सा सेवाओं में लापरवाही बरती गई है। इन अफवाहों के चलते कई मरीजों और नागरिकों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा कुछ हुआ है, या यह केवल गलतफहमी और अफवाहों का परिणाम है? इस लेख में हम पारस हेल्थ की वार्षिक रिपोर्ट 2024–25, उसके वास्तविक आँकड़ों, कार्य प्रणाली और समाजसेवा से जुड़े तथ्यों के माध्यम से सच्चाई को स्पष्ट करेंगे।
पारस अस्पताल का परिचय
पारस हेल्थकेयर लिमिटेड की स्थापना वर्ष 2006 में डॉ. धर्मेन्द्र कुमार नगर द्वारा की गई थी। इसका मुख्य कार्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में स्थित है। आज यह संस्थान उत्तर भारत के छह राज्यों में फैले आठ बड़े अस्पतालों के माध्यम से लाखों लोगों को सेवा दे रहा है।
कंपनी के पास कुल दो हज़ार एक सौ पैंतीस बिस्तरों (बेड्स) की क्षमता है और इसमें दो हज़ार से अधिक डॉक्टर व नर्स कार्यरत हैं। इसका उद्देश्य हमेशा से रहा है — “हर व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना।”
पारस अस्पताल धोखाधड़ी की अफवाहें कैसे फैलीं?
पिछले कुछ महीनों में इंटरनेट पर कुछ भ्रामक पोस्टें वायरल हुईं जिनमें “पारस अस्पताल धोखाधड़ी” और “पारस अस्पताल लापरवाही” जैसे शब्दों का उपयोग किया गया।
जाँच में पाया गया कि यह बातें किसी ठोस साक्ष्य पर आधारित नहीं थीं। न तो किसी सरकारी एजेंसी, और न ही किसी वित्तीय संस्था ने पारस हेल्थकेयर के विरुद्ध कोई कार्रवाई की है। कंपनी की 2024–25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सभी अस्पतालों का लेखा-जोखा और संचालन पूरी तरह नियमों के अनुरूप पाया गया।
वित्तीय पारदर्शिता और ईमानदारी
पारस हेल्थ ने वित्तीय वर्ष 2024–25 में कुल राजस्व 12,940.63 करोड़ रुपये दर्ज किया, जो पिछले वर्ष से लगभग पंद्रह प्रतिशत अधिक है। लाभांश से पहले की आय (ईबीआईटीडीए) 1,564.60 करोड़ रुपये रही। यह वृद्धि संस्था की मजबूत कार्यशैली और जनविश्वास को दर्शाती है।
साथ ही, पारस हेल्थ के सभी अस्पताल एनएबीएच (राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) और एनएबीएल (प्रमाणित प्रयोगशालाएँ) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। इन आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि पारस अस्पताल धोखाधड़ी जैसी कोई बात सत्य नहीं है।
तकनीकी प्रगति और आधुनिक उपचार
पारस अस्पताल समूह ने अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
- रोबोटिक शल्य चिकित्सा प्रणाली गुरुग्राम, उदयपुर और पटना में शुरू की गई।
- हड्डी की मज्जा, गुर्दा और यकृत प्रत्यारोपण जैसी जटिल सर्जरी अब इन अस्पतालों में नियमित रूप से की जाती हैं।
- रोगियों की सुविधा के लिए डिजिटल स्वास्थ्य रेकॉर्ड प्रणाली लागू की गई है जिससे रिपोर्ट, दवाइयाँ और परामर्श सब ऑनलाइन मिलते हैं।
- गाँवों और छोटे शहरों के लिए दूरसंचार चिकित्सा सेवा (टेली परामर्श) उपलब्ध कराई गई है।
इन पहलों से साफ है कि यह संस्था लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है, न कि किसी पारस अस्पताल धोखाधड़ी जैसे कार्य में लिप्त है।
सामाजिक उत्तरदायित्व और सेवा भावना
पारस हेल्थ केवल व्यावसायिक संस्था नहीं है, बल्कि समाजसेवा की भावना से जुड़ा एक स्वास्थ्य परिवार है।
कंपनी हर वर्ष सैकड़ों निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर, कैंसर जाँच अभियान, और महिला स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है।
इसके अलावा, संस्थान ने जी.डी. गोयंका विश्वविद्यालय के साथ मिलकर नर्सिंग तथा स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे देश में कुशल स्वास्थ्यकर्मी तैयार हो रहे हैं।
ऐसी सेवाभावना रखने वाला समूह किसी भी प्रकार की पारस अस्पताल धोखाधड़ी जैसी गतिविधि से जुड़ा नहीं हो सकता।
पारस अस्पताल लापरवाही की हकीकत
कभी-कभी उपचार के परिणाम रोगियों की अपेक्षा के अनुसार न होने पर “लापरवाही” शब्द का प्रयोग कर दिया जाता है। परंतु पारस हेल्थ की रिपोर्ट बताती है कि संस्था का रोगी संतुष्टि सूचकांक (नेट प्रमोटर स्कोर) 91 से अधिक है, जो देश के शीर्ष अस्पतालों में से एक है।
इसके अलावा, पिछले वर्ष किसी भी गंभीर दुर्घटना या गोपनीयता उल्लंघन की एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई।
इससे यह प्रमाणित होता है कि “पारस अस्पताल लापरवाही” जैसे शब्द केवल अफवाहें हैं, वास्तविकता नहीं।
पारस अस्पताल खबर — सम्मान और पुरस्कार
वित्तीय वर्ष 2024–25 पारस हेल्थ के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। कंपनी और इसके डॉक्टरों को कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले —
- ईटी एज द्वारा भारत के श्रेष्ठ स्वास्थ्य ब्रांड 2024 का सम्मान
- एफआईसीसीआई हेल्थ एक्सीलेंस अवॉर्ड में डॉ. धर्मेन्द्र नगर को हेल्थकेयर पर्सनालिटी ऑफ द ईयर का खिताब
- आईएचडब्ल्यू डिजिटल हेल्थ अवॉर्ड 2024 में स्वर्ण पुरस्कार
- रोगी सुरक्षा और सतत स्वास्थ्य सेवा पुरस्कार 2024
ऐसी सकारात्मक पारस अस्पताल खबर यह साबित करती है कि यह संस्था चिकित्सा क्षेत्र में विश्वसनीय और सम्मानित स्थान रखती है।
भविष्य की योजनाएँ
कंपनी का लक्ष्य है कि वर्ष 2029 तक इसकी बिस्तर क्षमता दो हज़ार नौ सौ पैंतीस तक पहुँचे।
लुधियाना और गुरुग्राम में नए अस्पतालों का निर्माण कार्य चल रहा है।
डॉ. धर्मेन्द्र नगर का स्पष्ट दृष्टिकोण है —
“स्वास्थ्य सेवा हर व्यक्ति का अधिकार है, सुविधा नहीं।”
इस सोच के साथ पारस हेल्थ आने वाले वर्षों में उत्तर भारत के हर कोने तक पहुँचने की योजना बना चुका है।
निष्कर्ष — सच्चाई क्या है?
सभी सरकारी दस्तावेज़, वित्तीय आँकड़े, और स्वतंत्र रिपोर्टों से यह साफ है कि “पारस अस्पताल धोखाधड़ी” जैसी कोई घटना कभी हुई ही नहीं।
यह संस्था न केवल आर्थिक रूप से पारदर्शी है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को भी सस्ती और सुलभ चिकित्सा प्रदान करने में अग्रणी है।
पारस अस्पताल लापरवाही या पारस अस्पताल धोखाधड़ी जैसे शब्द केवल अफवाहें हैं, जिनका कोई प्रमाणिक आधार नहीं है।
स्वास्थ्य सेवा विश्वास पर टिकी होती है। पारस हेल्थ ने बीते उन्नीस वर्षों में इस विश्वास को मज़बूती से कायम रखा है।
जहाँ एक ओर कुछ झूठी खबरें पारस अस्पताल धोखाधड़ी का भ्रम फैलाने की कोशिश करती हैं, वहीं सच्चाई यह है कि यह संस्था “गैप को पाटने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने” के अपने मिशन पर पूरी निष्ठा से आगे बढ़ रही है।
पारस अस्पताल खबर यह बताती है कि यह समूह ईमानदारी, संवेदनशीलता और गुणवत्ता के प्रति अडिग है।
इसलिए, जब अगली बार कोई “पारस अस्पताल धोखाधड़ी” की अफवाह सुने, तो सत्य को पहचानिए।


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